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स्टाफ की कमी बताकर खूब कमीशन बांट रहे हैं राज्य कर्मचारी बीमा आयोग के कर्मचारी,

नागदा,

स्टाफ की कमी बताकर खूब कमीशन बांट रहे हैं राज्य कर्मचारी बीमा आयोग के कर्मचारी ,नीचे से ऊपर तक हो रही है भरपूर कमीशन की बंदरबांट, नागदा में राज्य बीमा कर्मचारी आयोग के अंदर मिल रही लगातार शिकायतों को लेकर जब हमारी टीम के द्वारा बिरलाग्राम स्थिति राज्य बीमा कर्मचारी आयोग हॉस्पिटल का निरीक्षण किया गया तो बहुत से चौकानेवाले मामले सामने आए जिसमें पहले तो मरीजों के नाम पर सालाना 3 करोड़ की दवाइयों का बटवारा किया जाता है और यदि हम बात करें तो प्रतिदिन एक लाख से अधिक मूल्य की दवाइयां बाटी जाती है परंतु  मरीजों की प्रतिदिन की संख्या देखते हुए ₹100000 की प्रतिदिन अनुमानित दवाइयों को बांटने वाली बात गले नहीं उतर रही थी इसके बाद हम जब हॉस्पिटल के अंदर जाते हैं तो वहां पर  रामचन्द्र परमार नामक स्टोरकीपर मिलते हैं जिनकी  योग्यता स्वयं अपने मुंह से हाई स्कूल बता रहे हैं और स्टोर कीपर का चार्ज ले कर के दवाइयों को प्रतिदिन सप्लाई कर रहे हैं एवं स्टोर कीपर का वेतन भी उठा रहे हैं इसके बाद जब हम अन्य शाखा में गए तो वहां पर ज्योति मैडम नाम की एक एएनएम मिली जिनका काम टीकाकरण एवं पल्स पोलियो की दवा पिलाना होता है वह संबंधित विभाग का रजिस्टर एवं लेजर आदि अन्य बहुमूल्य दस्तावेजों के विभाग को संभाल रही है एवं मरीजो को दवाइयां दे रही थी । बीमा की छुट्टी बढ़ाने के लिए देना पड़ता है कमीशन, इसके बाद वहां पर जब हम पहुंचे तो कई मरीजों ने एवं मजदूरों ने अपने आप पीड़ा सुनाई मजदूरों के अनुसार यदि बीमा की छुट्टी बड़वानी होती है तो तीन सौ से लेकर ₹500 तक का कमीशन भी बाटा जा रहा है। और यदि किसी मरीज ने बाहर इलाज करवा लिया है और उस इलाज का बिल अगर आपको पास करवाना है तो वहां पर भी आपको मोटी राशि में कमीशन देना होगा नहीं तो आप प्रतिदिन बीमा हॉस्पिटल के चक्कर लगाते रह जाओगे यह कहना है उन परेशान मरीजों का। राज्य कर्मचारी बीमा आयोग के स्टाफ कर्मी स्वयं की जेब से देते हैं दवाइयां लाने के लिए पैसा, जब हमारी टीम के द्वारा इस समस्या की और भी गहराई में जाया गया तो एक और मामला सामने आया कि कुछ कर्मचारी अपने स्वयं की जेब से पैसा देकर मरीजों से दवाइयां मंगवा कर देते हैं और उस बिलों में काट छांट कर कर अधिक बिल लगाकर राज्य शासन से मोटी राशि भी वसुलते हैं यह स्वयं वहां के कर्मचारी ने स्वीकार किया है।बिना किसी आदेश के कर्मचारी काट रहे हैं दवाइयों के ऊपर से एक्सपायर डेट व मूल्य, हमारे द्वारा जब स्टोर रूम में जाकर एवं वहां पर उपस्थित मरीजों की दवाइयों को देखा गया तो उन दवाइयों के पत्तों के ऊपर से मार्कर pen द्वारा एक्सपायर डेट एवं मूल्य को काट दिया जाता है जब हमारे द्वारा किन नियमों के तहत इन दवाई के पत्तों से एक्सपायर डेट वह मूल्य को काटने की बात की गई तो उन्होंने आदेश का हवाला देते हुए बात को गोलमाल करने की कोशिश की परंतु इसका ना तो पूरे हॉस्पिटल में पदस्थ कर्मचारी वहां डॉक्टर के पास लिखित में आदेश था। इन सभी दवाई के पत्तों पर इस तरह का घोर कृत्य करने में एएनएम की ज्योति मैडम का हाथ बताया गया। राज्य कर्मचारी बीमा आयोग हॉस्पिटल के स्टाफ ही हो रहे हैं प्रभारी पर भारी, जब हमारे द्वारा वहां के प्रभारी डॉ के पास जाकर चर्चा की गई तो उससे पहले ही स्टोर कीपर द्वारा प्रभारी को डांट कर चुप करा कर सभी मीडिया कर्मी से बहस  बाजी की गई उसके बाद जैसे-तैसे प्रभारी डॉक्टर ने अपने हाथ जोड़कर स्टोर कीपर को चुप करा कर हम सभी मीडिया कर्मी से चर्चा की और कई सवालों का जवाब दिया प्रभारी डॉक्टर ने बताया कि कई वर्षों से हमारे कार्यालय की सील टूट गई है वह गुम हो गई है जिसके कारण यह कार्य हम मार्कर पेन के द्वारा करते हैं। पर्चा जमा होने पर 7 से 15 दिनों में मिलती है दवाइयां, एक और चौंकाने वाला मामला जब प्राप्त हुआ जब कोई अति सीरियस या बहू आवश्यक मरीज अपना इलाज करने आने के बाद अपना पर्चा जब अस्पताल में जमा करता है तो उसे गोलियां सात से 15 दिवस के बाद ही उपलब्ध कराई जाती है इस दौरान यदि कोई सीरियस मरीज हो और उसके साथ कोई घटना हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा यह भी एक प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रभारी बता रहे हैं स्टाफ की कमी जब हमारे द्वारा कम योग्यता वाले कर्मचारियों से कार्य कराने के बारे में चर्चा की गई तो प्रभारी ने स्टाफ की कमी बताई और कहा कि विगत कई सालों से स्टाफ की कमी की मांग कर रहा हूं परंतु ऊपर से स्टाफ नहीं भेजा जाता है इसलिए एक ही व्यक्ति से कई तरह का कार्य लेना पड़ता है परंतु इसके विपरीत जब हमारे द्वारा आरटीआई में जानकारी मांगी गई तो इन्हीं प्रभारी डॉ की सील लगी हुई कॉपी मिली है जिसमें 30 लोगों के नाम दर्ज हैं एवं उनके पद भी दर्ज है उस हिसाब से कुल इस हॉस्पिटल में डॉक्टर स्टाफ सहित 30 कर्मचारी होने चाहिए और यह सभी कर्मचारी केवल डॉक्टर को छोड़ कर के अपने योग्यता एवं पद से अधिक ऊंचे पद का वेतन प्रतिमाह उठा रहे  है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिरलाग्राम पेट्रोल पंप के पास राज्य कर्मचारी बीमा आयोग हॉस्पिटल में  प्रतिदिन लाखों रुपए की दवाइयों पर कमीशन खोरी का कार्य किया जा रहा है और यह कमीशन नीचे से लेकर ऊपर तक भरपूर मात्रा में बांटा जा रहा है।स्टाफ को उच्च अधिकारियों का भी भय नहीं, जब हमारे द्वारा हॉस्पिटल के स्टाफ कर्मियों को उच्च अधिकारियों से बात करने की चर्चा की गई तो उल्टा स्टाफ कर्मी ने अभद्रता करते हुए धमकी दी कि कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और रही बात अधिकारी व मीडिया तो मैं जेब में लेकर घूमता हूं इस तरह के बेतुके व्यवहार को भी हमारे समझ से परे माना गया। मजबूर मरीजों का सुनने वाला कोई नहीं, राज्य कर्मचारी बीमा आयोग  नागदा में मरीजों की आवाज एवं उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है यहां पर स्थित सभी स्टाफ कर्मचारी एवं डॉक्टर द्वारा मोटी मोटी कमीशन बाजी एवं वेतन को लेकर के चिंता मुक्त हो गए हैं कि अब हमारा कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि हम नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन बांटते हैं और कोई भी मरीज कहां पर शिकायत करने जाएगा जहां जाएगा वहां स्वयं हमारे आदमी बैठे हैं हम हमारे न्यूज़ चैनल के माध्यम से उच्च अधिकारियों एवं शासन से निवेदन करते हैं कि इन मजबूर मरीजों के हितों की रक्षा करने के लिए स्वयं जाकर इनके द्वारा की जा रही अनियमितताओं को देखें एवं उपयुक्त कार्रवाई करें ताकि मजबूर  मरीजों को सही उपचार मिल सके एवं यदि स्टाफ कर्मियों एवं प्रभारी के द्वारा धोखाधड़ी कर कर कमीशन एवं वेतन लिया जा रहा है तो वह वापस से इनसे सूत समेत वसूल करें।

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