मध्यप्रदेश में बीते दो वर्षो से नर्सिंग कॉलेजो में नवीन प्रवेश नहीं होने से इच्छुक छात्राएं इधर-उधर भटकने को है मजबूर, आखिर कौन है, छात्राओ के भविष्य का जिम्मेदार?
रतलाम (M.P)
17/May/2024
रतलाम ब्यूरो चीफ कृष्णकांत मालवीय की स्पेशल खबर
रतलाम. नर्सिंग कॉलेजों में नवीन प्रवेश नहीं होने से छात्राओं का भविष्य अंधकार में दिखता नजर आ रहा है। देश के सारे नर्सिंग कॉलेजो में बीते सत्र से ही प्रवेश रुके पड़े हुए हैं। सत्र 23-24 में भी नए प्रवेश नहीं दिए गए और चालू सत्र 24-25 में भी नहीं दिए गए। स्थिति यह हो चली है कि नर्सिंग की इच्छुक छात्राएं इधर-उधर भटक कर या तो मजबूरी में दूसरी पढ़ाई करने के लिए बाध्य है या फिर पलायन कर दूसरे राज्यों में नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रही है।
इसलिए बनी यह स्थिति-
दरअसल प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेज शासन के डोनेशन के चक्कर में मुफ्त की कमाई के लालच में केवल काकजो पर ही चल रहे थे। शासन को की गई शिकायत भी जब बेअसर रही तो एक शिकायतकर्ता ने प्रदेश के हाईकोर्ट की शरण ली।
फिर शुरू हुई जांच-
अंततः हाई कोर्ट के आदेश से पूरे प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजो की सीबीआई जांच शुरू हुई। पांच माह पूर्व सीबीआई के एक दल ने रतलाम जिले के सभी नौ कॉलेजो की जांच की। जांच के दायरे में सैलाना क्षेत्र के 6 कॉलेज भी थे।
पहली बार सीबीआई यहां पहुंची थी-
इस क्षेत्र में पहली बार सीबीआई पहुंची थी। सिर्फ कॉलेज के जिम्मेदारों के अलावा किसी को भी कानों कान खबर नहीं हुई। सीबीआई जहां भी पहुंची, उस परिसर को बाहर से पूरी तरह से लाॅक कर दिया जाता था। सीबीआई अधिकारी के अलावा चंद जिम्मेदार परिसर के अंदर होते थे, जिनसे आवश्यक जानकारी प्राप्त करना होती थी। उनके अलावा परिंदा भी जांच के दौरान पर नहीं मार सकता था। यहां तक की सीबीआई द्वारा बुलाए गए फोटोग्राफर से भी कैमरा वापस लेकर फोटो डिलीट कर दिए जाते थे।
जिले के सभी कॉलेजों को मिली थी क्लीन चिट-
उधर सैलाना क्षेत्र सहित जिले के सभी कॉलेजों को सीबीआई ने जांच के पश्चात क्लीन चिट दे दी थी। तब यह माना जा रहा था कि अब प्रवेश पर लगा प्रतिबंध भी हट जाएगा। नर्सिंग कॉलेज में अध्ययन के इच्छुकों में हर्ष की लहर दौड़ गई थी।
पर ऐसा हुआ नहीं-
हालांकि प्रदेश के कुछ जिलों में सीबीआई ने वाकई अनियमितता पाई थी। पर रतलाम जिले में सब कुछ ठीक-ठाक होने के बाद भी नर्सिंग कॉलेजो में प्रवेश शुरू नहीं हो सके। यहां तक कि पिछले साल जिन छात्राओं को प्रवेश दे दिए गए थे, उनकी फीस भी नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने उनको वापस लौटा दी। क्षेत्र की अनुसूय्यां गामड़, पूजा डामोर, जानू डामोर सहित ऐसी कई छात्राएं हैं जो नरसिंग की पढ़ाई करना चाहती थी। परंतु प्रवेश नहीं पाने के कारण उन्हें अन्य पढ़ाई करना पड़ी। यहां तक की कुछ छात्राओं को अपने राज्य से पलायन कर दूसरे राज्य में जाकर नरसिंग की पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
हम मजबूर हैं-
दरअसल सीबीआई जांच में हमारे कॉलेज सहित क्षेत्र के सभी कॉलेजों को सभी मापदंडों पर खरा पाया गया था। सीबीआई ने बारीकी से हर एक चीज देखी थी। छात्राओं का भौतिक सत्यापन व दस्तावेजों का भी भौतिक सत्यापन भी किया था। हमें उम्मीद थी कि अब प्रवेश पर से लगा प्रतिबंध हट जाएगा और कॉलेज सुचारू रूप से चालू हो पाएंगे। परंतु 5 माह पूर्व हुई जाच में क्लीन चिट मिल जाने के पश्चात भी अब तक प्रवेश पर से प्रतिबंध हटा नहीं। और अभी तक नर्सिंग पढ़ने की इच्छुक छात्राएं इधर-उधर भटक रही है। कुछ तो मजबूरी में प्रदेश से पलायन कर अन्य राज्यों के नर्सिंग कॉलेज में अध्ययन हेतु जाने के लिए मजबूर हुई है।
रोहित शर्मा, संचालक आधार नर्सिंग कॉलेज सैलाना