रतलाम
02/Aug/2024
रतलाम जिले के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य इकाई में विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त के संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन डॉक्टर एम एस सागर ने अस्पताल की नर्सिंग ऑफिसर को स्तनपान संबंधी परामर्श दिए जाने के लिए निर्देशित किया । उन्होंने स्पष्ट किया कि स्तनपान संबंधी व्यवहार जैसे शिशु जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान , छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान , 6 माह की आयु के बाद ऊपरी पोषण आहार और शिशु के 2 वर्ष की आयु तक स्तनपान जारी रखने का संबंध में सभी प्रसुताओं को आवश्यक परामर्श प्रदान किया जाए। जिले के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ए पी सिंह ने बताया कि मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए अमृत समान है , शिशु के लिए यह जन्म के बाद सबसे पहला टीका है , जो बच्चों को रोगों से सुरक्षा प्रदान करने के साथ समस्त आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करता है , इसलिए अनिवार्य रूप से सभी प्रसूताओ को शिशु जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाना आवश्यक है, शिशु जन्म के 6 माह की आयु तक बच्चों को शहद, घुट्टी पा , नी आदि कुछ भी नहीं देना चाहिए । स्तनपान के माध्यम से सभी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है, शिशु के 6 माह की आयु पूर्ण करने के बाद दलिया , मसले हुए आलू , तथा अन्य ऊपरी आहार धीरे-धीरे करके प्रारंभ करना चाहिए। जब तक शिशु चाहे , स्तनपान जारी रखना चाहिए। प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ममता शर्मा ने बताया कि स्तनपान से मां और शिशु के मध्य स्नेह का अटूट लगाव पैदा होता है , स्तनपान प्रारंभ करने से पूर्व प्रसूता माता को आवश्यक तकनीकी परामर्श दिया जाना चाहिए, एम सी एच अस्पताल के प्रभारी बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर सी डामोर ने स्पष्ट किया कि एम सी एच अस्पताल में शिशु हितेषी अस्पताल नीति का पूरी तरह पालन किया जाना चाहिए । इस नीति के अनुसार जिला चिकित्सालय के समस्त स्टाफ समस्त गर्भवती और प्रसूता माता को शिशु का स्तनपान संबंधी परामर्श प्रदान करने के लिए पूरी तरह कृत संकल्प है , और इस संकल्प का सभी को अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए। कार्यशाला के बाद सभी चिकित्सकों ने अस्पताल में भर्ती प्रसूता माताओ को स्तनपान संबंधी परामर्श प्रदान किया । और राज्य कार्यालय द्वारा जारी निर्धारित प्रपत्र में प्रसूता माताओ को स्तनपान संबंधी प्रमाण पत्र प्रदान किये । कार्यक्रम के दौरान डीपीएम डॉक्टर अजहर अली , अस्पताल की समस्त नर्सिंग ऑफिसर एवं अन्य स्टाफ आदि उपस्थित रहे।
रतलाम
02/Aug/2024
रतलाम जिले में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की सोसाइटी की अध्यक्ष डॉक्टर सुनीता वाधवानी, सचिव डॉक्टर अदिति राठौर, पद्मश्री डॉ लीला जोशी , डॉ राजकुमारी पुरोहित तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आनंद चंदेलकर ने विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त के अवसर पर शहरी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं के साथ स्तनपान के संबंध में बैठक की। बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आनंद चंदेलकर ने बताया कि आशा कार्यकर्ता गर्भवती एवं प्रसूता माता के निरंतर संपर्क में रहती हैं , अतः इनके माध्यम से स्तनपान संबंधी परामर्श में आवश्यक सुधार लाया जा सकता है और शिशु मृत्यु में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है । डॉ सुनीता वाधवानी ने आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्तन की जांच की जाना चाहिए एवं स्तनपान संबंधी परामर्श किया जाना चाहिए । इस संबंध में महिलाओं से चर्चा कर उनको आने वाले परेशानी एवं जिज्ञासाओं का समाधान करना चाहिए । शिशु को जन्म देने वाली माता स्तनपान कराने के लिए सक्षम होती है । यदि किसी कारण से स्तनपान न कराया जा सके तो ऐसी स्थिति में स्तन का दूध 6 घंटे तक सुरक्षित रूप से बाहर रखकर पिलाया जा सकता है , इसलिए किसी भी स्थिति में डिब्बे के दूध का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पद्मश्री डॉ लीला जोशी ने बताया कि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण आहार स्वास्थ्य देखभाल जांच एवं परामर्श प्रदान किया जाना चाहिए । स्वस्थ माता ही स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है इसलिए गर्भावस्था के दौरान देखभाल शिशु के पोषण की आवश्यकता को पूरा कर सकती है। डॉ राजकुमारी पुरोहित ने बताया कि शिशु जन्म के तुरंत बाद पहला दूध पतला होता है तथा इसके बाद पीला गाढ़ा दूध आता है। दोनों ही प्रकार का दूध शिशु के लिए आवश्यक है , पहले गाढ़े पीले दूध को कोलेस्ट्रॉम के रूप में जाना जाता है , इसमें शिशु के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व विद्यमान होते हैं , मां का पहला दूध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने के साथ-साथ सभी आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है, माता को स्तनपान कराते समय शिशु पर एकाग्रता रखना चाहिए तथा जब तक शिशु स्तनपान संबंधी हलचल की स्थिति में हो तब तक स्तनपान जारी रखना चाहिए अर्थात स्तनपान के समय शिशु की दूध की आवश्यकता को पूरी करना चाहिए। सीएमएचओ डॉक्टर आनंद चंदेलकर ने बताया कि रतलाम जिले में व्हील ग्लोबल फाऊंडेशन और आईआईटी मुंबई के सहयोग से मिशन न्यूट्रिशन का संचालन किया जा रहा है , इसके अंतर्गत आशा कार्यकर्ताओं को पोषण आधारित वीडियो दिखाये जा रहे हैं । इन वीडियो के अनुसार ब्रेस्टक्रोल से शिशु को मां का पहला पीला और गाढ़ा दूध जिसमे कोलेस्ट्रॉम रहता हे,मिलता हे , कोलेस्ट्रॉल में प्रोटीन होता हे , जिससे शिशु को रोगप्रतिरोधक क्षमता मिलती हे। कोलेस्ट्रॉम शिशु के खून में ग्लूकोज की मात्रा को कम होने से बचाता है।यह शिशु को पहला मल निकालने में मदद करता हे।ब्रेस्टक्रोल से शिशु को मां के स्वस्थ बैक्टीरिया मिलते है जो शिशु की आंतों में जाकर उसे रोगों से लड़ने की शक्ति देते है। ब्रेस्ट क्रॉल से मां और शिशु का गहरा जुड़ाव होता हे जिससे शिशु अच्छे से स्तनपान कर पाता है।स्तनपान करते समय समय बच्चे का पूरा मुंह खुला होना चाहिए , और मां की उंगली और अंगूठा होठों के सामने होना चाहिए , ताकि निप्पल आराम से मुंह के अंदर जाए। स्तनपान कराने की क्रॉस क्रैडल स्थिति मां अपने शिशु को विभिन्न प्रकार से स्तनपान करा सकती है, मां को अपने शिशु को स्तनपान कराने की सबसे अच्छी स्थिति वह होती है जिससे शिशु व मा शुरू से अंत तक आरामदायक हो , मां के स्तनों से गहराई से जुड़े और शिशु को भरपेट दूध मिल पाए , मां को एक गिलास उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पीना चाहिए । स्तनपान करने वाली माता के स्तनों में 750 से 850 मिलीलीटर दूध बनता है जिससे माता को ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए। बैठक के अंत में आभार सचिव डॉ अदिति राठौर जावरा ने माना । गायनिक समिति के सभी सदस्यों ने आश्वस्त किया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने हेतु प्रत्येक प्रकार के सहयोग के लिए उनकी संस्था पूरे समय तत्पर एवं हर सहयोग के लिए तैयार है। बैठक के दौरान आशीष चौरसिया , सरला वर्मा , डॉक्टर अजहर अली, हीना मकरानी , पीएसआई इंडिया की भारती रावत एवं शहरी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे।