पिपलौदा फसल बीमा योजना के तहत किसानों को लाभान्वित किए जाने के लिए कृषि विभाग ने कार्यक्रम का आयोजन किया,

पिपलौदा।

जिया उद्दीन कुरैशी की रिपोर्ट,

पिपलौदा फसल बीमा योजना के तहत किसानों को लाभान्वित किए जाने के लिए कृषि विभाग ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें जनपद क्षेत्र के 14 हजार 883 किसानों को लाभान्वित किया जाना है, कार्यक्रम में 30 किसानों को बुला कर इतिश्री किया गया । इसको लेकर किसान तथा एक पक्ष के जनप्रतिनिधि आक्रोशित है।

कार्यक्रम में जनपद अध्‍यक्ष प्रतिनिधि सुरेश धाकड़, तथा भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्‍यक्ष बद्रीलाल शर्मा, नगर भाजपाध्‍यक्ष मुकेश मोगरा व नगर परिषद के पूर्व अध्‍यक्ष अतुल गौड़ उपस्थित थे, विपक्ष को नहीं बुलाया गया सहकारी समिति के पूर्व अध्‍यक्ष महेश नांदेचा सहित किसी भी अन्‍य पार्टी के पदाधिकारियों को सूचना नहीं दिए जाने से नाराजगी रही। इस संबंध में वरिष्‍ठ कृषि विस्‍तार अधिकारी अशोक सिंह कुशवाह ने बताया कि वर्ष 2019 में कुल जनपद क्षेत्र के कुल 14 हजार 883 किसानों ने बीमा प्रीमियम जमा की थी। उन सभी को लाभान्वित किया गया है। कोविड नियमों के अंतर्गत कार्यक्रम में 30 किसानों को आमंत्रित किया गया था।

कार्यक्रम में सूचना न‍हीं मिलने पर जिला कांग्रेस उपाध्‍यक्ष तथा सहकारी समिति के पूर्व अध्‍यक्ष महेश नांदेचा ने आरोप लगाया कि प्रोटोकॉल के नियमों का उल्‍लंघन कर अधिकारियों ने मनमानी करते हुए एकपक्षीय कार्यक्रम बनाया गया है। नगर कांग्रेस अध्‍यक्ष अंतरसिंह शरण ने कहा कि वे कांग्रेस पदाधिकारी के साथ किसान भी है, किन्‍तु कार्यक्रम की कोई सूचना नहीं दी गई। यह कार्यक्रम जंगल में मोर नाचा की स्थिति जैसा रहा। किसान दादू राठौर, समरथ पटेल, राकेश जाट मुकेश जाट आदि किसानों का कहना है कि कृषि विभाग कोई भी कार्यक्रम इसी प्रकार से आयोजित करता है तथा यहां के वरिष्‍ठ कृषि विस्‍तार अधिकारी भी मुख्‍यालय पर नहीं मिलते हैं। इससे शासन की योजनाओं का लाभ सिर्फ चहेते लोगों को मिल जाता है। यहां कार्यालयीन समय भी सबसे अलग है। अधिकारी 12 से 3 बजे के बीच ही मिलते हैं तथा यही समय किसानों का खेतों में रहने का होता है। इससे कभी किसानों को अधिकारियों से मुलाकात का कोई मौका ही नहीं मिलता। शासन किसानों के लिए विभिन्‍न कल्‍याणकारी योजनाएं संचालित कर रहा है तथा खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए बार-बार घोषणाएं की जा रही है, लेकिन ऐसे अधिकारियों के कारण आम किसान अभी भी शासन की कल्‍याणकारी योजनाओं से दूर है।

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