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कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कृषि वैज्ञानिकों का रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवा का संतुलित उपयोग पर व्याख्यान का हुआ आयोजन

सक्त्ती (छ. ग.)

01/09/2023

धीरज कुमार महंत ब्लॉक रिपोर्टर 

सक्त्ती , किसानो द्वारा खेती में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवा का असंतुलित उपयोग करने पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है और उपजाऊ पन घटता है। उर्वरक एवं कीटनाशक दवा के असंतुलित उपयोग से अनाज की गुणवत्ता प्रभावित होती है साथ ही मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है उपसंचालक कृषि विभाग सक्त्ती से प्राप्त जानकारी अनुसार कृषि उत्पादन आयुक्त छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा नत्रजनीय उर्वरक के अधिक उपयोग पर रोकथाम के लिए कार्यशाला आयोजित कर कृषि विभाग के मैदानी अमलो को प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए गए है। जिसके तहत कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना के निर्देशन पर कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्र जांजगीर के वैज्ञानिकों द्वारा मैदानी अमलो को प्रशिक्षण दिया गया। उनके द्वारा उर्वरको के संतुलित उपयोग तथा अन्य वैकल्पिक व्यवस्था पर विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव दीक्षित ने कहा कि किसानो द्वारा नत्रजनीय उर्वरक यूरिया का अधिक उपयोग करने से मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है और मिट्टी अम्लीय होने से धीरे धीरे मिट्टी की उपजाऊ पन कम होती है। उन्होंने कहा कि किसानों को समझाइश दी जाये कि नत्रजनीय उर्वरक का उपयोग कम करें, पोटास का उपयोग करें, साथ ही गोठानो में मिलने वाली वर्मीखाद का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि किसानों को जागरूक किया जाये कि नत्रजन, स्फुर, पोटास का संतुलन बनाए रखें, इसके साथ ही जिंक , सल्फर, कैल्शियम फास्फोरस आयरन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस खाद का उपयोग करें। जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहेगी। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शशिकांत सूर्यवंशी ने कहा कि सही समय पर, सही मात्रा में, सही खाद का उपयोग करने पर भी अधिकतम उपज प्राप्त हो सकती है। अधिक मात्रा में यूरिया के उपयोग से पौधा हर भरा होता है, पर कीट व्याधि की आक्रमण बढ़ती है। जिसके बचाव के लिए कीटनाशक दवा का उपयोग करना पड़ेगा। इससे अनावश्यक खर्च बढ़ेगा, तथा मिट्टी भी प्रदूषित होगी उप संचालक कृषि सक्त्ती ने कहा कि यूरिया के अधिक उपयोग से खेती में लाभ नहीं होगा। इसलिए किसान मैदानी अमलो के सलाह के अनुसार खाद का उपयोग करें। इससे स्वयं का अनावश्यक खर्च नहीं होगा साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बनी रहेगी। इस कार्यशाला में अनुविभागीय अधिकारी कृषि कृतराज, सभी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं सभी विकास खंड के मैदानी अमले उपस्थित थे।

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