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मासूमों बच्चों की हुई मौत को लेकर सैलाना विधायक ने सीएम को लिखा पत्र

मासूमों बच्चों की हुई मौत को लेकर सैलाना विधायक ने सीएम को लिखा पत्र

भारत 27×7 न्युज रतलाम जिला ब्यूरो चीफ कृष्णकांत मालवीय।

रतलाम- मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 23 मासूमों की मौत के बाद रतलाम जिले के सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखा। वही लापरवाही के आरोपी अधिकारियों पर FIR की मांग की है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में जहरीले कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) और ‘नेक्स्ट्रोड्स’ (NextroDS) के सेवन से अब तक 23 बच्चों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। इस घटना ने न केवल परिवारों को शोक में डुबो दिया है, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य और औषधि प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सैलाना विधानसभा क्षेत्र के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक औपचारिक पत्र (आवेदन क्रमांक 408/VIP/2025) लिखकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने, पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा देने और स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की मांग की है।

घटना का काला अध्याय: सिरप में जहर की मिलावट से किडनी फेलियर-

जांच रिपोर्टों से खुलासा हुआ है कि तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक घातक रसायन मौजूद था, जो एंटीफ्रीज और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होता है। यह रसायन बच्चों की किडनी को नष्ट कर देता है, जिससे तत्काल फेलियर और मौत हो जाती है। अगस्त के अंत से शुरू हुई यह त्रासदी सितंबर में चरम पर पहुंची, जब छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में एक के बाद एक बच्चे किडनी संक्रमण से मरने लगे।

मौतों का आंकड़ा- शुरुआत में 9 मौतें (सितंबर तक), फिर 14, 19, 20 और अब 23 तक पहुंच गया। इनमें से अधिकांश छिंदवाड़ा (17), बैतूल (2) और पंधुरना (1) से हैं। कई बच्चे नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं, जहां 5 की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।

प्रभावित बच्चे- सभी पीड़ित 1 से 5 वर्ष के मासूम थे, जो सर्दी-खांसी के इलाज के लिए स्थानीय डॉक्टरों द्वारा यह सिरप दिया गया। जांच में पाया गया कि डॉ. प्रवीण सोनी नामक सरकारी बाल रोग विशेषज्ञ ने कई बच्चों को यह सिरप लिखा था, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार और निलंबित कर दिया गया। सैंपल की डाक से 3 दिन की देरी, 10 मौतें हो गईं। डोडियार के पत्र में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की गंभीर चूक का जिक्र है। 29 सितंबर को छिंदवाड़ा में सिरप के सैंपल इकट्ठे किए गए, लेकिन इन्हें साधारण डाक से भोपाल भेजा गया। इससे जांच में 3 दिनों की विलंबता हुई, जिस दौरान 10 और बच्चे अपनी जान गंवा चुके थे। सैंपल 3 अक्टूबर को भोपाल पहुंचे और 4 अक्टूबर को रिपोर्ट आने के बाद ही प्रदेशव्यापी प्रतिबंध लगा।

जिम्मेदार अधिकारी-

संदीप यादव (IAS, खाद्य सुरक्षा आयुक्त): जांच एजेंसी और प्रशासन के बीच समन्वय सुनिश्चित नहीं किया। दिनेश मौर्य (खाद एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक): दवा की गुणवत्ता निगरानी और बिक्री रोकने की जिम्मेदारी थी, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद भी 3 दिनों की देरी से कार्रवाई हुई।

डोडियार ने पत्र में कहा, “यह केवल न्याय का सवाल नहीं, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता और मासूमों के जीवन की रक्षा का सवाल है।” उन्होंने मांग की है कि इन अधिकारियों पर IPC की धाराओं के तहत FIR दर्ज हो, कंपनी मालिक (जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है) के साथ-साथ प्रशासनिक दोषियों को भी सजा मिले। साथ ही, दवा प्रशिक्षण और आपातकालीन सिस्टम में सुधार अनिवार्य हो।

डोडियार का पत्र: न्याय और सुधार की अपील-

सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार, जो इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं, ने पत्र में लिखा: “उदाहरणात्मक सजा से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।” उन्होंने पीड़ित परिवारों से मिलने और स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने का वादा किया। यह पत्र न केवल प्रशासनिक जवाबदेही पर जोर देता है, बल्कि पूरे देश में दवा नियंत्रण प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है। यह त्रासदी 2022-23 की ग्लाइकोल मिलावट वाली घटनाओं की याद दिलाती है, जहां भारत में सैकड़ों बच्चे मारे गए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि दवा परीक्षण लैब्स की कमी और निगरानी में ढिलाई ऐसी विपत्तियों को जन्म दे रही है। मध्य प्रदेश सरकार से उम्मीद है कि डोडियार की मांग पर तत्काल कार्रवाई हो, ताकि मासूमों का खून व्यर्थ न जाए।

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