गोशाला में छप्पन भोग का आयोजन,माँ तुझे सलाम…माँ, मुल्क और मजहब कभी छोड़ा नहीं जाता
रतलाम
25/Aug/2024
रतलाम ब्यूरो चीफ कृष्णकांत मालवीय
रतलाम जिले के सैलाना नगर के गोशाला में छप्पन भोग का अनोखा आयोजन सम्पन्न हुआ है। गोशाला की 500 से अधिक गायों को विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, नमकीन, फल, सब्जियां,सूखे मेवे ,पशु आहार ,गुड तिल सहित करीब 70 तरह के व्यंजनों का भोग नगर के व्यवसाई निलेश गोलेच्छ ने अपने पिता स्व.कांतिलाल गोलेच्छा की पुण्यतिथि पर लगाया। इस अवसर पर समाज जन गोसेवक उपस्थित थे। आयोजन की शुरुवात गो पूजन कर की। जिन्होंने गौशाला परिसर में 56 भोग व्यंजन बनाए। गोशाला में पकवानों की स्टॉल लगाई गई। ये स्टॉल देखने में किसी शादी ब्याह के खाने के लिए सजाई गई। स्टॉल से कम नहीं लग रही थी। इस आयोजन के दौरान गोशाला में एक नवीन टीन शेड बनाने के लिए दान दाताओं ने राशि की घोषणाएं भी की। भक्ति मंडल ने इस अवसर पर दान दाताओं का आभार व्यक्त किया।
माँ तुझे सलाम…माँ, मुल्क और मजहब कभी छोड़ा नहीं जाता –
माँ यह पूर्ण शब्द है, ग्रन्थ है, युनिवर्सिटी है। मां मंत्रबीज है, आधार है, माँ मंत्र, तंत्र और यंत्र की सफलता की मुलाधार है। मां जीवन का श्वास है, हृदय की धड़कन है, माँ हमारे लिये सिद्धि का सिंहासन है। शांति का आश्वासन है। कमजोरी को ढकने का पर्दा है। भूलों में दिलासा और जीवन का खुलासा है। किसी के हिस्से में घर आया, किसी के हिस्से में दफ्तर आया। मैं खुशनसीब था मेरे हिस्से में मां आई) जिसने नवकार का न सिखाया, परमात्मा से पहचान करायी, संस्कार दिये, एक श्रावक बनाया एक सच्चा, इंसान बनाया वह माँ ही तो है। जब धरती पर पहली श्वास ली थी तो माता-पिता तेरे साथ थे अब हमारा फर्ज है जब वो अंतिम श्वास ले तब तू उनके पास हो जिंगदगी में कभी माँ को रूलाना मत, माँ के मंदिर में चुनर ओढ़ाते है, पहले घर की माँ का याद कर लेना उसका दामन कही फटा तो नहीं है। हे अंधेरा तेरा मुँह काला हो गया। मेरी माँ आ गयी उजाला हो गया।
प. पू. अमित – अनंत शिशु प. पू. शुद्धि प्रसन्नाश्री जी म.सा. की शिष्या पू. प्रवृद्धि श्रीजी म.सा. ने सभा को संबोधित करते हुवे कहाँ भगवान महावीर स्वामी ने भी माता-पिता की भक्ति करी थी। गर्भ में प्रभु ने माता की भक्ति करी व स्थिर रहे। जब तक माता-पिता जीवीत थे, तब तक उनकी सेवा करी, बाद में दीक्षा ली। मल्लिनाथ भगवान भी प्रतिदिन माता-पिता के चरण स्पर्श करते थे। हर वर्ष साढ़े नौ करोड़ महिलाएं अवोशन कराती है, हमारी माँ ने नही कराया। माता-पिता – ब्रम्हा-विष्णु-महेश है, उन्हीं से हमारी जिन्दगी का श्री गणेश है। मान लू यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले, फिर यही गोद मिले, फिर यही माँ मिले। माँ यशोदा ने प्रियदर्शना को स्नेह दिया होगा, पर संयम तो पिता भगवान महावीर ने दिया। मा धरती है, तो पिता आकाश है, माँ ममता है तो पिता मकम्मता, माँ हृदय है तो पिता मस्तक माँ छत्र है तो पिता सर्वत्र है।