दमोह,
04 मार्च 2021,
समीर खान ब्यूरो रिपोर्ट
दमोह जिले विधिक सेवा षधिकरण दमोह के द्वारा साक्षरता शिविर का आयोजन वृद्ध की सभ्यताओं को सन निराकरण भी अपर जिला न्यायधीश सचिव जिला विधिक क सेवा प्राधिकरण एवं श्रीमती गुनता जिला विधिक सहायता अधिकारी की उपस्थिति रही,
दमोह,
04 मार्च 2021,
समीर खान ब्यूरो रिपोर्ट
वैज्ञानिक संत श्री निर्भय सागर जी महाराज का संघ सहित कुंडलपुर से कटनी की ओर मंगल विहार हुआ.. 5 मार्च को कुम्हारी में आहार एवं मंगल प्रवचन होगे.. आर्यिका रत्न सत्यमती माताजी जैन धर्मशाला में विराजमान, आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज का कुंडलपुर से विहार. दमोह में वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज का संघ सहित कुंडलपुर से कटनी की ओर मंगल विहार हुआ 5 मार्च गुरुवार को कुम्हारी में आहार एवं मंगल प्रवचन होगा। आचार्य श्री आज बड़े बाबा कुंडलपुर की तीर्थ क्षेत्र की वंदना की एवं उपस्थित जन समुदाय को मंगल उपदेश देते हुए कहा जहां सादगी है वहां सुंदरता है जहां क्षमा का भाव है वहां प्रेम है अपनत्व है जहां प्यास है वहां पानी की कीमत है। जहां श्वास है वहां जीवन की कीमत है। जहां पुरुषार्थ नीति एवं प्रीति है वहां उन्नति है। अपने वही है जो बिन मांगे दे देते हैं। भगवान से और अपनों से मांगना नहीं पड़ता हैं बिन मांगे मिल जाता है। ब्रह्मचारी सुनील भैया जी ने आज प्रथम केसलौंच किया गया। आचार्य श्री ने बड़े बाबा आदिनाथ की प्रतिमा के अभिषेक एवं शांति धारा के मंत्रों का उच्चारण किया। दोपहर भक्तामर विधान बड़े बाबा के चरण सानिध्य में विधान हुआ एवं तत्काल पहाड़ी के पीछे वाले रास्ते से कुम्हारी के लिए आचार्य संघ का बिहार हुआ। इसके पूर्व आचार्य श्री ने कहा जन्म आज्ञान में होता है पर मरण ज्ञान पूर्वक किया जा सकता है। मां की शरण में दुख दूर होता है पिता की शरण में डर दूर होता है। हंसते हंसते जीना सिखाते हैं लेकिन हंसते-हंसते मरना मुनिराज सिखाते हैं बातों में फंसने से बवाल खड़ा हो जाता है । जंजाल में फंसने से आदमी कंगाल हो जाता है। प्रभु के चरणों में जाने से निहाल हो जाता है। गुरु के पास जाने से सारे सवालों का हल हो जाता है। आचार्य श्री ने कहा संत आंदोलन नहीं करते हैं बल्कि भक्ति में आंदोलित होते हैं जो नेता कुंभकरण की नींद से सो जाते हैं उनको जगाने का काम करते हैं। हमारा देश मूर्तियों का देश है मुर्दों का नहीं। जहां मूर्ति है वहां श्रद्धा और मोहब्बत है। जिसके अंदर दया नहीं वह जिंदा होकर भी मुर्दा है। जैसे वक्त के नजरिया को शेयर के बजरिया को जानना कठिन है वैसे ही मन की परिणति को समझना कठिन है। दिल में जगह ना हथियार से मिलती है ना अधिकार से मिलती है वाली की दिल में जगह तो सिर्फ मधुर व्यवहार से मिलती है ।कर्मों की मार आत्मा में चोट पहुंचाती है। कंकर के मार काया में चोट पहुंचाती है। कर्मों की मार ज्यादा दुख देती है। भोग वादी प्रवृत्ति आदमी को अनैतिक और सिद्धांतहीन बनाती है। आचार्य श्री ने कहा वहस तो करना चाहिए लेकिन इतनी नहीं कि सब तहस-नहस हो जाए। ताकत का उपयोग करो दुरुपयोग नहीं ताकत का दुरुपयोग करने से अपना ही विनाश होता है मन के मेल सोडा साबुन से नहीं बल्कि प्रतिक्रमण प्रायश्चित और पश्चाताप से जलते हैं। इसीलिए संत लोग यह सभी कार्य करते हैं। यदि अच्छा भाग्य लिखने के लिए पेंसिल नहीं बन सकते तो बुरे भाग्य को मिटाने के लिए रबड़ बन सकते हैं। सम्यक दर्शन ज्ञान एवं चारित्र रूपी रत्नत्रय भाग्य लिखने के लिए पेंसिल का काम करती है और प्रतिक्रमण बुरे भाग्य को मिटाने के लिए रबर का काम करता है। आदमी नंगा आता है और नंगा जाता है फिर बीच में दंगा क्यों करता है और अहंकार क्यों दिखाता है यह बात समझ में आ जाए तो कल्याण हो जाएगा।दुख में शामिल होने वाला अपना होता है। सुख में शामिल होने वाला अपना हो ही ऐसा कोई नियम नहीं है। जहां स्यादवाद है वहां समीचीन संवाद है और सारी विवादों का निदान है इसलिए स्यादवाद धर्म को अपनाना चाहिए। आत्मा के पास ना किताब है ना कंप्यूटर और लैपटॉप है फिर भी दुनिया का हिसाब किताब है। मरण से पूर्व अपना हिसाब किताब पूर्ण कर लेना चाहिए। कर्मों का हिसाब किताब पूर्ण करने से परमात्मा प्रकट हो जाता है। यह कार्य वीतरागी संत बन करके ही किया जा सकता है। रानी बनने से कर्मों का कर्ज और बढ़ता चला जाता है इसलिए रागी नहीं वीतरागी बनना चाहिए। आर्यिका रत्न सत्यमती माताजी जैन धर्मशाला में विराजमान, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका रत्न सत्यमती माता जी पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मन्दिर जी धर्मशाला में इन दिनों विराजमान है, आर्यिका श्री क सानिध्य में श्री शांति विधान का आयोजन किया गया।