छत्तीसगढ़,
07/नवम्बर/2022,
महेंद्र बघेल स्टेट ब्यूरो,
बाराद्वार नवीन जीला सक्ती के मुख्यालय जेठा से लगे नगर पंचायत बाराद्वार ग्राम पंचायत बस्ती बाराद्वार, डूमरपारा, छीतापड़रिया, अकलतरा, भोथिया, खमहरिया, झालरोंदा में संचालित हो रहे क्रेशर एवं डोलोमाइट खदान में नियमों की अनदेखी करते हुए संचालन किया जा रहा है। क्रेशर व खदान संचालन शुरू होने से पूर्व ही सारे नियमों को ताक में रख काम शुरू किया जाता है। क्रेशर एवं डोलोमाइट खदान के लिए होने वाले जमीन खरीदी बिक्री से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल धीरे धीरे लगातार बढ़ता जाता है। क्रेशर एवं खदान संचालन में लगे ज्यादातर लोग रसूखदार हैं। तो कुछ लोगों की राजनीतिक पृष्ठ भूमि में तकड़ी पकड़ है। जिसके दम पर ही छीतापड़रिया के आधे जंगल में इन दबंग क्रेशर संचालकों ने अपना कब्जा जमा लिया है। सरकारी जमीन के आसपास कुछ एकड़ नंबरी जमीन खरीद कर आसपास की सरकारी जमीन पर अवैध खनन एवं क्रेशर का भंडारण व ऑफिस बनाकर अवैध तरीके से खनन कार्य किया जाता है। खदानों की खुदाई में भी नियमों की अनदेखी करते हुए असीमित खोदाई किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्र संबंधित सभी नियमों को ताक में रखकर दबंगई पूर्वक क्रेशर संचालन तो आम बात हो गई है। यह सभी मामले सामने में ही दिखाई देते हैं फिर भी प्रशासन किस कारण से इन क्रेशर संचालकों पर कार्यवाही करने से परहेज कर रहे हैं। यह समझ से परे है। नवीन जिला निर्माण से क्षेत्र की जनता को डोलोमाइट क्रेशर के प्रदूषण से राहत मिलने की आस जगी थी। मगर जनता की आस पर स्थानीय दबंगों की दबंगई और प्रशासनिक अनदेखी भरी पड़ रही है। यहां जनता के विरोध करने पर दबंगों द्वारा उनको डराया धमकाया जाना आम बात है। वहीं जनता के साथ मारपीट भी कर दिया जाता है। जिसके बाद चंदे के फंदे में फंसे कुछ जिम्मेदार जनता को ही समझाइस देते नजर आते हैं। और प्रशासनिक अमला भी दबंगों के साथ खड़े नजर आते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या क्षेत्र की जनता को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त हवा दिलाने क्षेत्रीय नेताओं ने आजतक कोई सार्थक प्रयास किया? और प्रयास किया तो उनका असर इन क्रेशर संचालकों पर क्यों नहीं पड़ा?