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संत कबीर ने अपनी अमृतवाणी से पूरे जीवन में लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया,

पिपलौदा,

25/Jun/2021,

ज़ियाउद्दीन क़ुरैशी की रिपोर्ट,

(निप्र) अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ अजाक्स रतलाम द्वारा संत कबीर साहेब की 624वी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कबीर साहेब की चित्र पर माल्यार्पण कर कबीर जी की संतमत विचार और दर्शन पर उपस्थित पदाधिकारियों द्वारा प्रकाश डाला ! अजाक्स जिला महासचिव अंबाराम बोस नेकबीर भारतीय संत परंपरा और संत-साहित्य के महान हस्ताक्षर हैं। हमारे यहां संत-साहित्य का एक विशिष्ट महत्व रहा है। तब क्योंकि इस साहित्य ने कभी भोग के हाथों योग को नहीं बेचा, धन के बदले आत्मा की आवाज को नहीं बदला तथा शक्ति और पुरुषार्थ के स्थान पर कभी संकीर्णता और अकर्मण्यता को नहीं अपनाया। ऐसा इसलिये संभव हुआ क्योंकि कबीर अध्यात्म की सुदृढ़ परंपरा के संवाहक भी थे और वर्तमान का वियोग नहीं है, योग है। उन्हें जो चेतना प्राप्त हुई, सत्य की निरंकुश जिज्ञासा ही उनका जीवन-धर्म रहा है। वही उनका संतत्व रहा। व कबीर एक ऐसे संत है, जिनके लिये पंथ और ग्रंथ का भेद बाधक नहीं। अजाक्स के जिला उपाध्यक्ष हरिराम जाटवा ने संबोधित करते हुए कहा कि संत कबीर ने अपने पूरे जीवन काल में पाखंड, अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा का विरोध करते हुए अमृतवाणी से लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया आज भी कबीर की वाणी अमृत के समान है जो व्यक्ति को नया जीवन देने का काम कर रही हैं इस अवसर पर पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष जगन्नाथ सूर्यवंशी, अशोक खेड़े, रमेश चंद्र वसुनिया ,योगेंद्र खेडे, ग्रामपंचायत दरार के सरपंच उपसरपंच मनोज राठौड़, ग्राम रोजगार सहायक- विनोद कुमार डामोर, मुकेश सिसोदिया, विजय वर्मा, सुखदेव गामड़, जितेंद्र डामर, अंबाराम गामड़ ,दिनेश भाभर, गनी मोहम्मद आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अशोक खेडे ने किया आभार रमेश चंद्र वसुनिया द्वारा माना गया,

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